The Manali-Leh
Sarchu |
The Manali-Leh road, India's highest altitude motor road,
attracts tourists while it is also famous for adventure sports. The most loved
of these adventure sports is motor biking. Bikers from different places reach
Manali and check their motor cycle on the local route. On the first day, bikers
complete the 150-kilometer journey from Rohtang Pass, Koksar and Lahaul valley
to Jispa. The first day's journey is the most challenging because the condition
of roads is not good and the weather in this area is also uncertain. After
passing the night in Jispa, the Himalayan landscape welcomes you as you move
forward. This highway gives you an overview of Baralacha La Pass, situated at
an altitude of about 5000 meters above sea level, through the mountains. On
your way to Sarchu, which is the border line of Jammu and Kashmir and Himachal,
after reaching 120 km from Jispa, you reach Sarchu camp. By reaching here, you
may experience nausea or headache due to mountain sickness. To avoid this, you
should consume more fluids besides resting. The new dawn is followed by new
challenges after resting overnight. Here you will find the roads in very good
condition. Tanglang-La, the second highest pass in the world at an altitude of
5300 meters, passes through a flat area. After crossing this pass, you reach
Leh, traveling 215 km from Sarchu via Thiksey Gompa. It is necessary to rest
for two days in Leh so that you get accustomed to some extent due to the low
oxygen atmosphere here. This will not make you uncomfortable crossing the 18360
feet high Khardungla Pass to the Nubra Valley. On the way to Nubra, we will
start the journey to Khardungla Pass by taking food items at South Pulu. Going
further from here, there will be a Discne monastery where this 32 meter high
Budha statue can be seen. From here onwards you reach the Nubra Valley which is
famous for sand dunes and two hump camels. The next is Pangong Lake after
resting overnight. It is about 275 km from Nubra Valley. The specialty of this
lake is that the water in its eastern part is sweet while its western part is
saline. 2/3 of this lake comes in China while the rest is in India. After
reaching here and taking some rest, you can enjoy a stroll along the lake in
the evening. After the night's rest, you can come back to Leh in the morning
and see the monasteries, Shanti Stupa.
Leh Trip From Manali
Leh |
भारत
का सबसे अधिक ऊंचाई वाला मोटर रोड मनाली लेह मार्ग जहाँ पर्यटकों को अपनी ओर
आकर्षित करता है वहीं यह
मार्ग साहसिक खेलों के लिए भी
मशहूर है। इन साहसिक खेलों
में सबसे अधिक प्रिय है मोटर बाईकिंग।
विभिन्न स्थानों से बाईकर मनाली
पहुंचकर अपनी मोटर साईकल की जाँच स्थानीय
मार्ग पर करते है।
पहले दिन बाईकर रोहतांग पास, कोकसर व लाहौल स्पीति
से हुए जिस्पा तक की 150 किलोमीटर
की यात्रा पूरी करते है। पहले दिन का सफर सबसे
चुनौती भरा होता है क्योंकि सड़कों
की हालत ठीक नहीं है और इस
क्षेत्र में मौसम भी अनिश्चित ही
रहता है। जिस्पा मैं रात गुजरने के बाद जैसे
ही आप आगे बढ़ते
हैं हिमालयन लैंडस्केप आपका स्वागत करते हैं। यह राजमार्ग आपको
पहाड़ों के बीच से
होते हुए समुद्र तल से लगभग
5000 मीटर की ऊंचाई स्थित
बारालाचा ला दर्रे का
अवलोकन करवाता है। सरचू की ओर जाते
हुए जो जम्मू और
कश्मीर और हिमाचल की
सीमा रेखा है, जिस्पा से 120 किमी सफर पूरा करके आप सरचू कैंप
तक पहुँचते हैं। यहाँ पहुंचकर आपको माउंटेन सिकनेस के कारण मितली
आना या सिर दर्द
का अनुभव हो सकता है।
इससे बचने के लिए आपको
आराम करने के अलावा तरल
पदार्थों का अधिक सेवन
करना चाहिए। रात भर आराम करने
के बाद नई सुबह नई
चुनौतियों से होती है।
यहाँ पर आपको रास्ते
बहुत ही अच्छे हालत
में मिलेंगे। समतल क्षेत्र से होते हुए
5300 मीटर की ऊंचाई पर
दुनिया का दूसरा सबसे
ऊँचा दर्रा तंगलंग-ला आता है।
इस दर्रे को पार करने
के बाद थिकसे गोम्पा से होते हुए
215 किमी का सफर करते
हुए आप लेह पहुँचते
हैं। लेह में दो दिन आराम
करना आवश्यक हैं ताकि यहाँ के कम ऑक्सीजन
वाले वातावरण के आप कुछ
हद तक अभ्यस्त हो
जाएँ। इससे आपको 18360 फुट ऊँचे खारदुंगला दर्रे को पार कर
नुब्रा घाटी जाने में असहजता नहीं होगी। नुब्रा के रास्ते पर
साउथ पुलु में खाने का सामान ले
कर खरदुंगला दर्रे की यात्रा शुरू
करेंगे। यहाँ से आगे जाने
पर डिस्कने मठ आएगा जहाँ
इज 32 मीटर ऊँची बुध प्रतिमा देखी जा सकती है।
यहाँ से आगे आप
नुब्रा घाटी मैं पहुँचते हैं जो रेत के
टिल्लों और दो कूबड़
वाले ऊंटों के लिए प्रसिद्ध
है। रात भर आराम करने
के बाद अगली मंजिल पैंगोंग झील है। यह नुब्रा घाटी
से लगभग 275 किमी दूर है। इस झील की
विशेषता यह है कि
इसका पूर्वी भाग का पानी मीठा
है जबकि इसका पश्चिमी भाग खारा है। इस झील का
2/3 भाग चीन में आता है जबकि बाकि
भारत में है। यहाँ पहुँच कर कुछ देर
आराम करने के बाद आप
शाम को झील के
किनारे टहलने का आनंद ले
सकते हैं। रात्रि विश्राम के बाद सुबह
फिर से लेह वापिस
आकर वहां के मठों, शांति
स्तूप के दर्शन कर
सकते हैं।
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